- ₹200.00
- by
- Book: Manthan: Samajik, Dharmik aur Rajnitik Lokhit ka
- Paperback: 183 pages
- Publisher: Gradias Publishing House
- Language: Hindi
- ISBN-13: 978-8195983797
- Product Dimensions: 21.59 x 13.97 x 2 cm
हर धर्म कहता है कि सभी लोग एक समान हैं और लोकतंत्र भी हर नागरिक को समान अधिकार देता है तो फिर हमारे समाज में लोगों के बीच इतनी असमानता क्यों है? अमीरी-गरीबी, ऊंच-नीच या जाति-पाति जैसी इन असमानताओं की वजह आख़िर क्या है?
जब राजनीति जन सेवा का काम है तो नेताओं के इतने लंबे अर्से तक काम करने के बावजूद आम लोग परेशान और राजनेता किसी राजा की तरह क्यों हैं? जब देश के संसाधन देश के लोगों के हैं तो चंद पूंजीपति इतने अमीर क्यों हैं और देश के अधिकतर लोग गरीब क्यों हैं?
यदि इस तरह के सवाल आपके मन में भी आते हैं तो यह किताब पढ़ना आपके लिए ज़रूरी है, क्योंकि इसमें आपके सवालों के तर्कपूर्ण जवाब मिलेंगे। धर्म के ठेकेदारों, राजनीति के खिलाड़ियों और पूंजीपतियों ने किस तरह सांठ-गांठकर आम लोगों को उनके अधिकारों से वंचित रखकर कैसे उन्हें दीन-हीन बना रखा है और उनके मन में यह बैठा रखा है कि उनकी यह हालत उनके मेहनत न करने का नतीजा है, जबकि इस बात के पीछे की सच्चाई तो कुछ और ही है!
यह किताब आपको यह सच्चाई बताएगी और बतौर नागरिक आपको अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करेगी। देश के हर नागरिक को यह किताब ज़रूर पढ़नी चाहिए, ताकि वह समझ सके कि दरअसल किस तरह उसके अधिकारों का हनन करते हुए चंद लोग अपने स्वार्थ की सिद्धि कर रहे हैं और इसके लिए किस तरह वे जनता को आपस में एक-दूसरे से लड़वा रहे हैं।
यह किताब आप स्वयं तो ज़रूर पढ़ें, पर साथ ही दूसरों को भी पढ़ने को कहें, क्योंकि जब हर नागरिक अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होगा, तभी तो वह अपने अधिकारों की मांग करेगा और तभी तो समाज और देश की स्थिति में सुधार आएगा। लोकहित के लिए किए गए इस मंथन का अमृत आपको समृद्ध नागरिक बनाने का काम करेगा।
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