कहानी जंक्शन/Kahani Junction - ग्रेडिअस बुक स्टोर
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Hindi Books Hindi E-Book by Gradias Hindi Paperback by Gradias price_₹180
कहानी जंक्शन/Kahani Junction

कहानी जंक्शन/Kahani Junction

Hindi Books Hindi E-Book by Gradias Hindi Paperback by Gradias price_₹180
Short Description:
समाज के उन मुद्दों से जुडी, दिल छु लेने वाली कहानियां, जो हमारे आसपास के हैं..

Product Description

 

  • 180.00
  • by Ashfaq Ahmad  (Author)
  • Book: Kahani Junction
  • Paperback: 150 pages
  • Publisher: Gradias Publishing House
  • Language: Hindi
  • ISBN-13: ‎978-8196458607
  • Product Dimensions: 21.59 x 13.97 x 2 cm

वस्तुतः "कहानी जंक्शन" एक कहानी संग्रह है, जहां अलग-अलग सात कहानियों को आकार दिया गया है। इस कहानी संग्रह में सभी सात कहानियां किसी न किसी सामाजिक मुद्दे से जुड़ी हैं और सभी अंधेरे और अवसाद की स्थिति से निकाल कर रोशनी की ओर ले जाती हैं और एक उम्मीद की किरण जगाती हैं। यह मुद्दे हमारे आसपास के है, हमारे जानने वालों के हैं, हमारे घरों के हैं। जब पढ़ेंगे तो हर कहानी से आपको कोई जानी-पहचानी सी गंध आयेगी।

संग्रह की पहली कहानी 'बाग़ी लड़कियां है, जो दो ऐसी लड़कियों के अपने संघर्ष की दास्तान है, जिन्हें अपने आसपास सदियों से पनपता आ रहा पुरुष वर्चस्ववाद स्वीकार नहीं था। जो किसी मर्द के साये से इतर अपना एक स्वतंत्र अस्तित्व, अपनी एक अलग पहचान गढ़ना चाहती थीं। अपने हर फैसले के पीछे उन्हें अपने ही लोगों का विरोध झेलना पड़ता है, लेकिन हर बाधा को पार करते वे आगे बढ़ती जाती हैं— मगर एक मकाम वह भी आता है, जहां सबकुछ अचीव कर लेने के बाद उन्हें अपने भविष्य को लेकर कोई ठोस निर्णय लेना था और वे फिर एक ऐसा निर्णय लेती हैं, जो उन्हें फिर सबके निशाने पर लाने वाला था।

दूसरी कहानी अधूरी समाज में अपनी पहचान को लेकर जूझती एक लड़की की है, जिसमें एक अधूरापन मौजूद था और जिसकी वजह से वह एक सामान्य जीवन कभी नहीं जी पाती और उसे क़दम-क़दम पर उपेक्षा और तिरस्कार का सामना करना पड़ता है। उसे एक उम्मीद दिखती भी है तो एक ऐसे आवारा लड़के में, जो अपने शौक और अपनी हरकतों को लेकर न सिर्फ ज़माने भर में बदनाम था, बल्कि जिसका कोई भविष्य भी नहीं था— लेकिन उसे यक़ीन था कि दुनिया में वही एक ऐसा इंसान है जो उसकी कमी को लेकर कभी उससे नफरत नहीं करेगा, कभी उसका तिरस्कार नहीं करेगा।

संग्रह की तीसरी कहानी है उजले जीवन की स्याह सांझयह एलीट वर्ग के उस एकाकीपन को रेखांकित करती है, जिससे अक्सर स्टेटस के पीछे पगलाए छोटे शहरों के अमीर लोगों को जूझना पड़ता है, जब उनके बच्चे तो एक कामयाब ज़िंदगी जीते किसी मेट्रो सिटी या विदेश में सेटल हो जाते हैं और उनके हिस्से जीवन के संध्याकाल में एकाकीपन आता है। यह कहानी ऐसे ही एकाकीपन के अभिशाप को भोगते एक ऐसे इंसान की है, जो अपनी नियति को बदलने की ठान लेता है और बचे हुए निरर्थक जीवन को गौरवपूर्ण ढंग से खत्म करने के लिये एक अलग ही रास्ता अख्तियार करता है।

अंधेरे से उजाले की ओर इस संग्रह की चौथी कहानी है, जो अपनी अपंगता के चलते निराशा और अवसाद में घिरे और पल-पल ख़ुद को खत्म करते, एक शख़्स के अंदर आने वाले उस बदलाव को दरशाती है— जिसकी ज़िंदगी में, अपनी ज़रूरत के मद्देनज़र, एक झूठ के सहारे घुसपैठ करने वाली लड़की ने ऐसी हलचल मचाई थी कि उसे अपने नकारात्मक विचारों से निकल कर दुनिया को सकारात्मक ढंग से जीने के लिये एक सही रास्ता मिल गया था और सही मायने में वह अपनी अपंगता को स्वीकार करके उसके साथ खुशी-खुशी जीना सीख पाया था।

कनेक्शन इस संग्रह की पांचवी कहानी है… यह कनेक्शन है इंटरनेट के सहारे जुड़े दो अजनबियों के बीच का, जो अपनी-अपनी जगह एक खालीपन से भरी ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं। वे उस ज़िंदगी को ठीक से स्वीकार नहीं कर पाते, उन्हें दस शिकायतें भी रहती हैं, लेकिन उनमें उसे बदलने का हौसला भी नहीं है, और वे बस ऐसे ही उसे जीते चले जाना चाहते हैं— लेकिन उनके बीच बने कनेक्शन से उन्हें अपने दर्द के साझा होने का अहसास होता है, एक दूसरे से थोड़ी प्रेरणा मिलती है उन्हें और ज़िंदगी में थोड़ा रस महसूस होता है। वे आखिर तक यह फिर भी तय नहीं कर पाते कि उनके इस जुड़ाव का भविष्य क्या है।

इस संग्रह की छठी कहानी है मधुरिमा, जो पचास साल की एक ऐसी औरत की कहानी है जिसने अपनी ज़िंदगी में बड़े दुख झेले थे, बड़ा संघर्ष किया था और हर मुश्किल से जूझते हुए अपनी सभी जिम्मेदारियां निभाने में कामयाब रही थी, लेकिन उन जिम्मेदारियों से मुक्त होने के बाद अब वह अपनी ज़िंदगी को फिर से जीना चाहती है, अपनी दबी हुई अधूरी इच्छाओं को पूरा करना चाहती है, उन सपनों को अमली जामा पहनाना चाहती है जो उसने कभी देखे थे, और इसके लिये वह अकेली ही घर से निकल खड़ी होती है।

संग्रह की सातवीं और आखिरी कहानी है मज़हबी कुफ्रवस्तुतः यह रूपकों के सहारे कही गई कथा है, जिसके ज़रिये एक संदेश देने की कोशिश की गई है कि असल में धर्म क्या है, इसका सार क्या है, इसे किस तरह लेना चाहिये और एक इंसान के तौर पर कैसा आचरण होना चाहिये— जो धर्म के सकारात्मक पहलू को दुनिया के सामने रखे, न कि उसे दूसरों की नज़र में एक नकारात्मक विचारधारा के रूप में प्रस्तुत करे। 


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